मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में तन्मय नाम का एक लड़का रहता था। वह हमेशा से शांत और अच्छे स्वभाव का था। उसका परिवार बहुत छोटा और साधारण था। लेकिन तन्मय इस साधारण जिंदगी में ही नहीं रहना चाहता था। वह कुछ बड़ा करना चाहता था। इसी सपने को लेकर उसने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया। कुछ सालों बाद जब उसकी इंजीनियरिंग पूरी हुई तो उसे नौकरी के लिए इंटरव्यू देने पुणे जाना था। उसने अपना सारा सामान पैक किया और अगले ही दिन अपने कुछ जमा किए हुए पैसों के साथ गांव से पुणे के लिए निकल पड़ा। उसने ट्रेन का टिकट लिया और कुछ ही देर में ट्रेन आ गई। वह अपनी सीट पर बैठ गया। सफर के दौरान उसके मन में शहर के विचार चल रहे थे क्योंकि वह पहली बार किसी बड़े शहर जा रहा था। वो सोच रहा था कि शहर कैसा होगा? लोग कैसे होंगे? क्या मैं पहली कोशिश में ही इंटरव्यू में सफल हो पाऊंगा? इन्हीं ख्यालों में खोया हुआ वह सो गया। कुछ घंटों बाद जब ट्रेन रुकी, तो चारों तरफ शोर था। तन्मय की नींद खुली। उसने खिड़की से देखा कि ट्रेन प्लेटफार्म पर खड़ी है और बोर्ड पर पुणे जंक्शन लिखा है। उसने जल्दी से अपना बैग और सामान लिया और ट्रेन से नीचे उतर गया। पुणे में उसने पहली बार कदम रखा था। स्टेशन से बाहर आने से पहले उसने खुद को ताजा किया और बाहर एक रिक्शा लेकर अपने ठिकाने की ओर निकल पड़ा। रास्ते में उसने ऊंची-ऊंची इमारतें, नई और खूबसूरत गाड़ियां और अनजान चेहरे देखे। यह सब देखकर उसे पहली बार बहुत खुशी हुई। शहर उसकी कल्पना से कहीं ज्यादा बेहतर था। कुछ देर बाद वह अपनी मंजिल पर पहुंच गया और वहां एक लोकल हॉस्टल में उसने कमरा ढूंढा। उसने अपना सामान कमरे में रख दिया। कमरा बिल्कुल उसके जैसा था। नया और अकेला। वहां एक बेड, एक अलमारी और दीवार पर कुछ तस्वीरें लगी थी। पास में एक टेबल रखा था जिसमें कई ड्रर थे। उन ड्रर में कुछ किताबें थी। उन किताबों को देखकर तन्मय को खुशी हुई। अब वह अकेला नहीं था क्योंकि उसके साथ किताबें भी थी। धीरे-धीरे रात हो रही थी और तन्मय सोने की तैयारी कर रहा था। उसने बिस्तर लगाया और लेट गया। नई जगह थी इसलिए उसे जल्दी नींद नहीं आ रही थी। फिर भी उसे बहुत अच्छा लग रहा था। नींद में उसे अपने घर और गांव के दोस्तों की याद आ रही थी। जैसे तैसे उसे नींद आ गई और वह सो गया। सुबह वह जल्दी उठ गया। अब उसे तैयार होकर इंटरव्यू के लिए निकलना था। उसने सुबह नहाकर जल्दी से नाश्ता किया। उसने उन कंपनियों की लिस्ट बनाई जो उसकी इंजीनियरिंग के हिसाब से इंटरव्यू के लिए अच्छी थी। अगले दिन वो तैयार होकर एक कंपनी में इंटरव्यू देने निकल पड़ा। कुछ दिन बीत गए। उसने कई कंपनियों में इंटरव्यू दिए लेकिन हर जगह उसे यही जवाब मिलता कि हम आपको बाद में कॉल करेंगे। एक दिन उसे एक कंपनी से कॉल और ईमेल आया जिसमें लिखा था आपको हमारी कंपनी में नौकरी मिल गई है और आप कल से ज्वाइन कर सकते हैं। यह सुनकर तन्मय की खुशी का ठिकाना ना रहा। अगले ही दिन सारी तैयारी करके वो कंपनी की तरफ निकल पड़ा। नौकरी शुरू हो गई थी। पहले दिन उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी। वो सोच रहा था कि ऑफिस के कर्मचारी कैसे होंगे? क्या मुझे मेरे जैसा कोई दोस्त मिलेगा? इन्हीं ख्यालों के साथ उसने अपना काम शुरू किया। कुछ देर बाद जब ब्रेक हुआ और सब बातें कर रहे थे तभी उसकी मुलाकात कुछ कर्मचारियों से हुई और उस दिन उसके कुछ दोस्त बन गए। वहां से हर दिन तन्मय नए दोस्तों से बातें करने लगा और उसका काम भी अच्छे से चल रहा था। धीरे-धीरे तन्मय ने अपने काम के साथ-साथ हर नियम को अपनाया। हर मीटिंग और प्रोजेक्ट में उसने खुद को शामिल किया। दिन बीतते गए। एक दिन उसे बेस्ट एंप्लई ऑफ द ईयर का अवार्ड मिला। तन्मय की खुशी आसमान छू रही थी। खुशी-खुशी वह अपने हॉस्टल के कमरे में पहुंचा। कमरे में आकर उसने अवार्ड निकाला और उसे देखने लगा। उसे एहसास हो गया था कि उसने जो सपना देखा था वो पूरा हो गया है। अब शहर में तन्मय ने कुछ और योजनाएं बनाई। उसने वीकेंड पर बाइक से घूमने का प्लान बनाया और अपने दोस्तों को भी बताया। इसी बीच उसकी एक दोस्त साक्षी भी बन गई थी। अब हर वीकेंड पर वे घूमने जाते, पार्टी करते और अपनी जिंदगी की खुशियां एक दूसरे के साथ बांटते थे। उसने अब शहर के जीवन को अपना लिया था और एक नया जीवन बना लिया था। तन्मय ने और भी प्लान बनाए। उसने पुणे की पुरानी जगहों, गलियों, खाने-पीने की जगहों, सार्वजनिक उत्सवों और ऐसी ही बहुत सारी जगहों को देखना और जानना शुरू किया। हर जगह से उसे कुछ नया सीखने और जानने को मिलता। कुछ साल बीत गए। तन्मय ने अपने जीवन को पूरी तरह बदल दिया था। उसे ऑफिस में सीनियर डेवलपर के पद पर काम करने का मौका मिला। ऑफिस में अब हर कोई उसके साथ अच्छे से जुड़ गया था। अब तन्मय और साक्षी कभी-कभी साथ में घूमने जाते थे और उनकी दोस्ती और गहरी होती जा रही थी। तन्मय के दिल में साक्षी के लिए एक खास जगह बन गई थी। तन्मय ने खुद से कहा कि वह जल्द ही साक्षी को बताएगा कि वह उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहता है क्योंकि वह उसे पसंद करने लगा था। उसने सोचा कि ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए और अगले दिन ही उसे बता देगा। अगले दिन वह ऑफिस में साक्षी का इंतजार कर रहा था। जैसे ही साक्षी आई उसने कहा हाय साक्षी गुड मॉर्निंग। वो कुछ और बोल पाता। उससे पहले ही साक्षी बोली तन्मय तुम्हें पता है मेरा जॉब ट्रांसफर मुंबई हो रहा है और मैं अगले हफ्ते जा रही हूं। उसने मुस्कुराते हुए कहा मैं तुम सबको बहुत याद करूंगी। यह सुनकर तन्मय मुस्कुराया और कहा, वाह साक्षी, यह तो तुम्हारे लिए बहुत खुशी की बात है। लेकिन उसके दिल में जो बात थी, वह शायद हमेशा के लिए अनकही रह गई थी। दिन बीतते गए। कुछ साल बाद तन्मय को एक नई नौकरी का ऑफर मिला जो बेंगलुरु शहर में था। इस बार तन्मय ने अपनी तैयारी की और सामान पैक करने लगा। अब उसके जाने का समय हो गया था। जैसे ही वह कमरे के बाहर अपना सामान लेकर आया उसे कुछ खोने जैसा महसूस हुआ। उसने एक बार फिर देखा। सब कुछ तो उसने ले लिया था। फिर भी उसका मन मानने को तैयार नहीं था। कुछ सोचने के बाद वह समझ गया कि इतने दिनों तक वह इस कमरे में रहा था और यहां की सारी चीजों से उसका लगाव हो गया था। उसके जाने के एहसास से कमरे की सारी चीजें जैसे उसे कह रही थी कि जा रहे हो छोड़ के। एक बार नजर भर के देख लो फिर शायद कभी ना मिल पाओगे। उसकी आंखों में आंसू आ गए क्योंकि अब उसे यह कमरा, उसके दोस्त और इस शहर को छोड़कर जाना था। इसी कमरे में इसी शहर ने उसका सपना पूरा किया था और उसका जीवन बदल दिया था। यहां वो अपना सपना लेकर अकेला आया था और अब उसकी जिंदगी बदल गई थी। इन्हीं ख्यालों के साथ उसने मन ही मन इस जगह को इस शहर के लोगों को और उससे जो कुछ सीखा उन सबका धन्यवाद किया और बेंगलुरु के लिए अपनी फ्लाइट पकड़ने निकल पड़ा। फ्लाइट से जाते समय वह खिड़की से इस शहर को देख रहा था और उसका मन आभार से भरा हुआ था। अब उसे किसी नई जगह या नए शहर जाने से डर नहीं लगता था क्योंकि हर एक नई जगह ने उसे जीना सिखा दिया था और उसने उस जीवन को अपना लिया था।
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